आपको सभी तरह की शायरी, उर्दू - हिंदी भाषा में मिलेगा. नाथ शरीफ़, ग़ज़ल, मनकबत, हमद, और कई तरह की शायरी
शायरी, कविता का एक ऐसा रूप है जो हमारी भावनाओं को दूसरों तक तक पहुंचने में मदद करता है।
कई बार हम अपनी दर्द को किसी से बयां करने में सक्षम नहीं रहते और उस हालत में हम अपनी दर्द को शायरी के दरमियान दूसरों तक पहुंचाते हैं।
अगर आप शायरी, ग़ज़ल मनकबत हमद नाआत पढ़ने में दिलचस्प रखते हैं तो आप सही जगह पर आएं हैं।
अब तक यही सुना था के बाजार बिक गए
उस की गली गए तो खरीददार बिक गए
लगने लगें हैं मुझ से भी नाकस की बोलियां
यानी जहां के सारे ही सहकार बिक गए
जिसने हमें ख़रीदा मुनाफा कमा लिया
अपना ही यह कमाल के हर बार बिक गए
इंतजाम यह नहीं था कहानी का असल में
क्या किजिए के बीच में किरदार बिक गए
जंगल की धूप में न साया हमें मिला
क़िमत लगे तो देखिए असजार बिक गए
इतना तो फर्क है चलो अपनों में गैरों में
अपने थे शर्म सार, मगर यार बिक गए
मत पूछ इनका बिकते हुए मोहब्बत के मोल को
रोए तमाम उम्र के बेकार। बिक गए
किजिए शिकायतें भला अब रो परो
क़ाज़ी बिका यहां, यहां दरबार बिक गए
तलवार की जगह वहां बनती है चुडियां
जिस जिस कबिले के सरदार बिक गए
लाज़िम है रखें अपनी नज़र आस्तीन पर
सुनने में आया है नमक ख्वार बिक गए
अफशा वफा किसकी का कोई बिज तुझमें है
युं नहीं - नहीं है सारे तलबगार बिक गए
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