हम ख़ाक हैं और ख़ाक ही मावा है हमारा, ख़ाकी तो वो आदम जददे आला है हमारा अल्लाह हमे ख़ाक करे अपनी तलब में, …
Read moreआदाब, कई बार ऐसा होता है कि शाइरी करना चाहें तो शे'र नहीं होते और कई बार ख़यालों में खो जाने पर ख़ुदा पूरी ग़ज़ल अ़ता कर देता है। मेहरबान मां को…
Read moreकैसा अजीब आया है इस साल का बजट मुर्गी का जो बजट है वही दाल का बजट जितनी है एक क्लर्क की तनख्वाह आज कल उतना है बेग़मात के एक गाल का बजट टीवी का ये …
Read moreक्या पता लौट के आना के न आना होगा मेरे हमदम मुझे फ़िलहाल तो जाना होगा मैं रहूंगा न मेरा अक्स ही कहीं होगा यूं तेरे स…
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