कैसा अजीब आया है इस साल का बजट
मुर्गी का जो बजट है वही दाल का बजट
जितनी है एक क्लर्क की तनख्वाह आज कल
उतना है बेग़मात के एक गाल का बजट
टीवी का ये मज़ाक अदीबों के साथ ह
शायर से दुगना रख दिया कव्वाल का बजट
बिछड़े थे जब ये लोग, महीना था जून का
सोहनी बना रही थी महिवाल का बजट
दामाद को निकाल के जब भी हुआ है पेश
सालों ने पास कर दिया ससुराल का बजट
बिकती है जब किताब भी कैसेट के रेट पर
कैसे बनेगा "गालिब" ओ "इकबाल" का बजट
माँ कह रही थी रंग लिपिस्टिक के देख कर
चट कर दिया बहु ने मेरे लाल का बजट
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