क्या पता लौट के आना के न आना होगा
मेरे हमदम मुझे फ़िलहाल तो जाना होगा
मैं रहूंगा न मेरा अक्स ही कहीं होगा
यूं तेरे सामने होने को ज़माना होगा।
मिल के रातों को कभी दिन जो किया था हमने
हर वो लम्हा जो कभी साथ जिया था हमने
न चाहकर भी तुझे मीत भुलाना होगा।
मेरे हमदम मुझे फ़िलहाल तो जाना होगा।
एक अनजान सफर पर मैं निकल जाऊंगा
बन के अहसास फ़िज़ाओं मे ही घुल जाऊंगा
कौन जाने कि कहां मेरा ठिकाना होगा
मेरे हमदम मुझे फ़िलहाल तो जाना होगा।
मैं कहीं दूर सितारों से निहारूंगा तुझे
तू न सुन पायेगा पर रोज़ पुकारेंगे तुझे
तुझको बिन मेरे बहुत वक़्त बिताना होगा
मेरे हमदम मुझे फ़िलहाल तो जाना होगा।
कर यह वादा न कभी आंख नम तेरी होगी
तू न होगा उदास बात जब मेरी होगी
तुझको वादा तो यह हर हाल निभाना होगा
मेरे हमदम मुझे फ़िलहाल तो जाना होगा।
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Ekdilkishayeri |
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