कांटों से मुहब्बत का इनआ'म भी देखा है। फूलों से उलझने का अंजाम भी देखा है॥

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एक दिल की शायरी

कांटों से मुहब्बत का इनआ'म भी देखा है। फूलों से उलझने का अंजाम भी देखा है॥

आपको सभी तरह की शायरी, उर्दू - हिंदी  भाषा में मिलेगा. नाथ शरीफ़, ग़ज़ल, मनकबत, हमद, और कई तरह की शायरी

शायरी, कविता का एक ऐसा रूप है जो हमारी भावनाओं को दूसरों तक तक पहुंचने में मदद करता है।

कई बार हम अपनी दर्द को किसी  से बयां करने में सक्षम नहीं रहते और उस हालत में हम अपनी दर्द को शायरी के दरमियान दूसरों तक पहुंचाते हैं।

अगर आप शायरी, ग़ज़ल मनकबत हमद नाआत पढ़ने में दिलचस्प रखते हैं तो आप सही जगह पर आएं हैं।


कांटों से मुहब्बत का इनआ'म भी देखा है।

फूलों से उलझने का अंजाम भी देखा है॥


आगाज़ मुहब्बत का जो देखा तो क्या देखा।

हमने तो मुहब्बत का फ़र्जाम भी देखा है॥


गुलशन को कभी हमने हँसते हुए देखा है।

बागों में कभी हमने कोहराम भी देखा है॥


फूलों के भी बिस्तर पर आराम नहीं आया।

काँटों पे कभी सो कर आराम भी देखा है॥


रस्तों में कभी हमने मंज़िल का पता देखा।

रस्तों को कभी हमने नाकाम भी देखा है॥


महफ़िल में कभी उनकी बस नाम हमारा था।

ख़ुद को उसी महफ़िल में गुमनाम भी देखा है।।


नज़रों से हिकारत की जो देखते हैं हमको।

होठों पे कभी उनके इकराम भी देखा है॥


साग़र ने डुबोयी है कश्ती यहाँ लोगों की।

साहिल पे लगा है जो इल्ज़ाम भी देखा है॥


नफ़रत थी यहाँ उसको जिस नाम को लेने से ।

होठों पे "अफशा" उसके वो नाम भी देखा है॥


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