प्यार की एक नज़र काफ़ी है, प्यार की एक नज़र चाहते हैं

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एक दिल की शायरी

प्यार की एक नज़र काफ़ी है, प्यार की एक नज़र चाहते हैं

आपको सभी तरह की शायरी, उर्दू - हिंदी  भाषा में मिलेगा. नाथ शरीफ़, ग़ज़ल, मनकबत, हमद, और कई तरह की शायरी

शायरी, कविता का एक ऐसा रूप है जो हमारी भावनाओं को दूसरों तक तक पहुंचने में मदद करता है।

कई बार हम अपनी दर्द को किसी  से बयां करने में सक्षम नहीं रहते और उस हालत में हम अपनी दर्द को शायरी के दरमियान दूसरों तक पहुंचाते हैं।

अगर आप शायरी, ग़ज़ल मनकबत हमद नाआत पढ़ने में दिलचस्प रखते हैं तो आप सही जगह पर आएं हैं।



प्यार  की   एक    नज़र    काफ़ी    है
प्यार  की   एक    नज़र    चाहते    हैं

और  क्या   चाहते   हैं   तुझ  से    हम
बस   तेरी    ख़ैर   ख़बर    चाहते    हैं

हम  भी   फ़रयादी   हैं   दर   पर   तेरे
हम   भी  दिल  में  तेरे  घर   चाहते  हैं

एक तबस्सुम ही का सदक़ा मिल जाए
हम   कहां   लाल ओ गुहर  चाहते   हैं

मैं   ने    दस्तार   तो  कब   की   दे दी
जाने  जां  अब  मेरा   सर   चाहते   हैं

मुझ      से     नाराज़     किनारे    मेरे
फ़ैसला    बीच     भंवर     चाहते    हैं

वो  भी  तो   शाम  ओ  सहर चाहे हमें
हम  भी  तो  शाम ओ सहर  चाहते  हैं

हम    तबस्सुम  के  हैं  ताजिर  जावेद
और    वो    दीदए    तर   चाहते    हैं
2020-best-poetry


            शब्दार्थ


फ़रियादी ---Complainant , one who sues for justice
तबस्सुम ----Smile
सदक़ा -------Alms भिक्षा
लाल ओ गुहर ----Precious stones
दस्तार -------------पगड़ी , turban
जाने जां-----------प्रिय , अज़ीज़ दोस्त
ताजिर ------------व्यापारी , business men

2nd poetry 

सरों को जोड़कर बैठे हुए हैं 

इधर  वाले  उधर बैठे हुए हैं 


शिकारी ने कमाँ में तीर डाला 

परिन्दे  बेख़बर  बैठे   हुए   हैं 

उधर से दाद की उम्मीद मत कर 

उधर  अहल  ए  हुनर  बैठे हुए हैं 


खड़े हैं जो भी  हैं  मर्द  ए मुजाहिद 

है जिनके दिल में  डर ۔ बैठे हुए हैं 


वबा का ख़ौफ़ ज़हनों पर है इतना
 
बड़ी  मुददत  से  घर  बैठे  हुए  हैं


गुलामों पर सितम ढाते थे जो कल 

 वो  घुटने   मोड़कर   बैठे  हुए  हैं 


बड़ी मेयारी महफ़िल है यक़ीनन 

यहॉं  शम्स  ओ  क़मर बैठे हुए हैं 


यही तो था का कभी दरबार ए शाही 

 ये  देखो  बाम  ओ  दर  बैठे  हुए  हैं

नोट

उर्दू शायरी में वज़्न ( मात्रा)  के मुताबिक़ मेरे के लिए मिरा, तेरे के लिए तिरा और एक के लिए इक का इस्तेमाल होता है जो लोग शायरी की व्याकरण से परिचित नहीं हैं उनकी सुविधा के लिए मैं ने मेरे ,तेरे और एक  ही लिखा है

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