चर्चा हमारा इन दिनों है आम दुनिया में। हम भी नहीं कम आपसे बदनाम दुनिया में।

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एक दिल की शायरी

चर्चा हमारा इन दिनों है आम दुनिया में। हम भी नहीं कम आपसे बदनाम दुनिया में।



चर्चा  हमारा  इन दिनों  है  आम  दुनिया  में।

हम भी नहीं कम  आपसे  बदनाम दुनिया में।


वो ज़िन्दगी भी  क्या है कोई  ज़िन्दगी  यारों।

जिसमें न आये  सर कोई  इल्ज़ाम दुनिया में।


मेरी  तबाही  से  भला  क्या  फ़र्क़  पड़ता है।

मिल तो  रहा है  आपको  आराम  दुनिया में।


हम लोग हैं  अब भी अमन को  चाहने वाले।

करने लगे हो आप  क़त्ल-ए-आम दुनिया में।


होती अमर है आत्मा  बस ये बताने के लिए।

सुक़रात को  पीना पड़ा था  जाम  दुनिया में।


अग्नी-परीक्षा क्यों लिए  जब छोड़ना ही था।

सब कुछ नहीं थे जानते  क्या राम दुनिया में।


कुछ और दिन "ज़ख़्मी" सताने की इजाज़त दो।

फिर तुम अकेले ही  बिताना शाम  दुनिया में।


         


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