मैंने तो दिया था बिल्कुल सही मशवरा, उसने बुरा मनाया वो दूसरी बात है...।

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एक दिल की शायरी

मैंने तो दिया था बिल्कुल सही मशवरा, उसने बुरा मनाया वो दूसरी बात है...।

आपको सभी तरह की शायरी, उर्दू - हिंदी  भाषा में मिलेगा. नाथ शरीफ़, ग़ज़ल, मनकबत, हमद, और कई तरह की शायरी

शायरी, कविता का एक ऐसा रूप है जो हमारी भावनाओं को दूसरों तक तक पहुंचने में मदद करता है।

कई बार हम अपनी दर्द को किसी  से बयां करने में सक्षम नहीं रहते और उस हालत में हम अपनी दर्द को शायरी के दरमियान दूसरों तक पहुंचाते हैं।

अगर आप शायरी, ग़ज़ल मनकबत हमद नाआत पढ़ने में दिलचस्प रखते हैं तो आप सही जगह पर आएं हैं।


 क्यूं ले के कटार आया  वो दूसरी बात  है 

मेरा अपना ही  साया  वो  दूसरी   बात है


मैंने  तो दिया था बिल्कुल  सही  मशवरा 

उसने   बुरा   मनाया ,  वो दूसरी  बात  है 


छेद झट   करती   है  दुनिया ये   थाली में 

ता उम्र उसी में खाया,  वो  दूसरी  बात है


लौटे  न  ख़ाली जो  दर  पे चल के आया 

था उसने तुझे  लौटाया, वो दूसरी बात है 


कितने   सबक  पढ़ाए ज़माने ने फरेब के 

मुझे समझ  न  आया ,वो  दूसरी  बात  है 


मेरी ओर फैंकी वक़्त ने दौलत और ग़ैरत

मैंने  ग़ैरत को  उठाया,  वो  दूसरी बात है 


आए तो  सब ,जब जला मेरा आशियाना 

कोई  पानी  न लाया, वो  दूसरी   बात  है 


सहमा है हर कोई  आज  मौत के   डर से

है ख़ुद  ही उसे बुलाया, वो दूसरी  बात है


'अफशा ' तो  करता  है  सीधी सच्ची बातें 

कोई   समझ न  पाया, वो  दूसरी   बात है






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